***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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१००/१२४ - रोने से हृदय का संताप दूर होता है । संसारी मनुष्यों के सामने रोने से मनुष्य पुरुषार्थहीन , तेजहीन और बुद्धिहीन होकर मनुष्यता से गिर जाता है । परंतु श्री भगवान् के सामने रोने से मनुष्य के जन्म-जन्मान्तर के पाप एक ही घडी में धुलकर वह ऐश्वर्य तथा श्री भगवान् को प्राप्त होता है । इसलिए संसारी मनुष्यों के सामने झींका- झांकी करना तथा रोना छोड़कर अपने हृदय की सब प्रकट एवं गुप्त बातें एकांत में श्री भगवान् को ही सुननी चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
* *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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