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Saturday, 5 November 2016

(भाग ९६/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*


९६/१२४ - धार्मिक, पारमार्थिक और आध्यात्मिक कार्यों के नाम पर धन बटोरना और फिर उनको उन सत्कार्यों के बजाय अपने मनमाने और निजी कार्यों में खर्च करना, धन देने वालों को साफ़ धोखा देकर विश्वासघाती, कृतघ्नी और महान पातकी बनता है । 
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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