***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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११४/१२४ - आध्यात्मिक अभ्यास तथा श्री भगवान् की पूजा करने में जिस साधन से शांति व आनंद प्राप्त हो, उसको नई प्रथा तथा सभ्यता के पुरुषों की देखादेखी अथवा किसी के कहने, सुनने पर कदापि नहीं छोड़ देना चाहिए । यदि उनसे उत्तम ज्ञान मिलता हो तो उसे अपने में मिला लेना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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