***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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११८/१२४ - मन के कहने पर चलने से मनुष्य शक्ति-हीन, दुखी और संसार के लिए अनुपयोगी बनता है । यदि सच्चे सुख की चाहना हो तो संदेह करना, राग, द्वेष, घृणा तथा ईर्ष्या करना और विकारों के वशीभूत होना छोड़ देना चाहिए । दृढ़ता के साथ मन को किसी के अर्पण कर देने पर ही ऐसी साधनाओं का होना संभव है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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