***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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१०८/१२४ - किसी सजीव सुख-दुःख का अनुभव करने वाले प्राणी को मार कर खाने की इच्छा ही मनुष्य में हिंसावृत्ति और पाशविक भाव उत्पन्न करती है । अतः जो अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति अथवा श्री भगवान् की भक्ति प्राप्त करना चाहते हों उन्हें मांस, मछली आदि का त्याग कर ही देना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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