***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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११५/१२४ - नित्य-कर्म तथा संध्या वन्दन आदि शुभ कार्य अभ्यासी तथा साधक के लिए जितने आवश्यकीय हैं उससे कहीं अधिक सिद्ध तथा महापुरुष के लिए आवश्यकीय हैं । इसलिए संध्या वन्दन तथा नित्य कर्म प्रत्येक श्रेणी की मनुष्यों को, यानी प्रथम श्रेणी से लेकर आखरी श्रेणी तक के सभी पुरुषों को नित्य प्रति अवश्य करते रहना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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