***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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१०४/१२४ - जो आयु में, पद में प्रतिष्ठा में अपने समान हों और आपस में शिष्टाचार तथा प्रणाम का व्यवहार चालू दुसरे के द्वारा पाहिले प्रणाम की आशा नहीं रखना चाहिए । भलमनसाहत और सभ्यता इसी में है कि पाहिले ही आप उनसे प्रणाम कर लें ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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