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Sunday, 13 November 2016

(भाग १०४/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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१०४/१२४ - जो आयु में, पद में प्रतिष्ठा में अपने समान हों और आपस में शिष्टाचार तथा प्रणाम का व्यवहार चालू  दुसरे के द्वारा पाहिले प्रणाम की आशा नहीं रखना चाहिए । भलमनसाहत और सभ्यता इसी में है कि पाहिले ही आप उनसे प्रणाम कर लें । 
 
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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