***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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९५/१२४ - प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है कि अपने पुरुषार्थ से अपना निर्वाह करे । जो अपने सम्बन्धियों तथा अन्य लोगों के बल पर जीवन निर्वाह करता है, अथवा उनके नाम से यश और कीर्ति प्राप्त करता है वह पुरुषार्थ हीन हो जाता है और अपने कल्याण मार्ग से गिरकर अधोगति को प्राप्त होता है ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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