***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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९४/१२४ - वह सत्यता और ईमानदारी किसी काम की नहीं जिसमे नम्रता, प्रेम और निःस्वार्थ सेवा की वृद्धि न हो | सत्य और ईमानदारी के प्रकाश में यदि स्वार्थ और अन्धकार का नाश न हो तो वह सत्यता और ईमानदारी कदापि नहीं है किन्तु धोखा के रूप में असत्य और हिंसा ही है |
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
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