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Wednesday, 30 November 2016

(भाग १२१/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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१२१/१२४ - विश्वासघाती, कृतघ्नी, दुराचारी तथा नीचों की संगति से सदैव बचते रहने का यत्न करते रहना चाहिए । मलिन पापी और नीच स्वभाव के मनुष्यों के संसर्ग से मनुष्य पतित होकर उन्ही के गुण और स्वभाव को प्राप्त होते हैं । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Tuesday, 29 November 2016

(भाग १२०/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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१२०/१२४ - जो मनुष्य सदाचारी तथा पुण्यात्मा बनना चाहता हो उसे अपने जीवन का अमूल्य समय नष्ट नहीं करना चाहिए । जो भक्ष्याभक्ष्य अथवा संगद्वेष के कारण आलस्य  में पड़कर अपने समय को नष्ट करते हैं वे अपने जीवन के ध्येय को नष्ट करते हैं । खाली समय खोने से बढ़कर मनुष्य का अनर्थ करने वाला और कोई शत्रु नहीं है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Monday, 28 November 2016

(भाग ११९/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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११९/१२४ - मनुष्य पर कितनी ही विपत्ति आवे तो भी उसे धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए । आपत्ति के समय में हार्दिक प्रार्थना, गीता पाठ और तुलसीकृत रामायण से बड़ी सहायता मिलती है । इससे श्री भगवान् पर विश्वास होकर कठिन समय को सहन करने की शक्ति प्राप्त होती है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Sunday, 27 November 2016

(भाग ११८/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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११८/१२४ - मन के कहने पर चलने से मनुष्य शक्ति-हीन, दुखी और संसार के लिए अनुपयोगी बनता है । यदि सच्चे सुख की चाहना हो तो संदेह करना, राग, द्वेष, घृणा तथा ईर्ष्या करना और विकारों के वशीभूत होना छोड़ देना चाहिए । दृढ़ता के साथ मन को किसी के अर्पण कर देने पर ही ऐसी साधनाओं का होना संभव है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Saturday, 26 November 2016

(भाग ११७/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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११७/१२४ - जब मनुष्य मानसिक विकारों से ऊब जाता है तो वह निर्दोष जीवन व्यतीत करने लगता है । निर्दोष तथा पवित्र जीवन ही सच्ची शांति है जिसकी प्राप्ति आत्म संयम तथा श्री भगवान् की भक्ति से ही प्राप्त होती है ।  

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Friday, 25 November 2016

(भाग ११६/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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११६/१२४ - अपनी भूल-चूक अनुचित कामों एवं दूषित कर्मों के लिए हार्दिक दुःख के साथ पश्चाताप करने तथा भविष्य में फिर ऐसे दूषित कर्मों के न करने का दृढ़ संकल्प करने से सब दूषित कर्मों तथा पापों का प्रायश्चित हो जाता है और भविष्य के लिए श्री भगवान् की कृपा से सुबुद्धि तथा सुमति प्राप्त होकर शांति तथा सुख के देवताओं की सहायता से वह श्री भगवान् के समीप पहुँच जाता है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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Thursday, 24 November 2016

(भाग ११५/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"

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🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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११५/१२४ - नित्य-कर्म तथा संध्या वन्दन आदि शुभ कार्य अभ्यासी तथा साधक के लिए जितने आवश्यकीय हैं उससे कहीं अधिक सिद्ध तथा महापुरुष के लिए आवश्यकीय हैं । इसलिए संध्या वन्दन तथा नित्य कर्म प्रत्येक श्रेणी की मनुष्यों को, यानी प्रथम श्रेणी से लेकर आखरी श्रेणी तक के सभी पुरुषों को नित्य प्रति अवश्य करते रहना चाहिए । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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