Like on FB

Monday, 1 May 2017

जिस तरह उपाय करने पर लकड़ी से अग्नि और दूध से घी निकलता है उसी प्रकार सत्संग ,सन्तों की कृपा तथा अभ्यास व साधन से आत्मपद तथा ईश्वरभक्ति की प्राप्ति होती है।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी कहते थे कि-

"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि-

🌻"जिस तरह उपाय करने पर लकड़ी से अग्नि और दूध से घी निकलता है उसी प्रकार सत्संग ,सन्तों की कृपा तथा अभ्यास व साधन से आत्मपद तथा ईश्वरभक्ति की प्राप्ति होती है।"🌻
पूज्य गुरुदेव ने यह भी कहा है कि
🌻" सत्संग से बढ़कर मनुष्य के कल्याण के लिए कोई उत्तम वस्तु नही है।सत्संग से ज्ञान होने पर माया दुखदायी के बदले सुखदायी हो जाती है।भगवान के भक्त माया के अधीन नही होते किन्तु माया स्वयम उनके सामने सेवा के लिए हाथ जोड़े खड़ी रहती है परन्तु श्री भगवान के भक्तो को उसकी ओर देखने का अवकाश ही नही मिलता।"🌻
पूज्य पापाजी भी यही कहते थे कि अध्यात्म मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक साधक को पूज्य गुरुदेव द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलते हुए अभ्यास नियमित समय पर करते रहना चाहिए,तभी उसकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।

🌻*🌷हे गुरुदेव आप बड़े दयालु एवम् कृपालु है ।हम आपसे प्रार्थना करते है कि आप हमे आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करे क्योंकि–
'यह गुन साधन ते नहि होई,
तुम्हरी कृपा पाय कोइ कोई।🌷*🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

No comments:

Post a Comment