















"अभ्यास के समय साधक के मन में तरह तरह के विचार आते है।उन विचारो से निपटने के लिए परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के अमृत वचन के कुछ अंश प्रस्तुत है-"
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🌻ख्यालात दो तरह के होते है एक जानदार दूसरे बेजान।बेजान ख्याल है वो जो आये और निकल गए।जो जानदार ख्याल है उनको 'डिस्पोज आफ'करना जरूरी है नही तो वे हमेशा परेशान करते रहेंगे।इसका तरीका यह है कि आप पूजा में बैठे है कोई ख्याल आया तो आप विचार करिये कि इसको भोगने में फायदा है या नुकसान।यह भी देखिये इसको पूरा करने में किसी को दुःख तो नही होगा,तो उससे कहिये कि हम ऐसा जरूर करेंगे और यदि उसको भोगने में आपको या किसी को कष्ट हो तो उसको ज्ञान और वैराग्य से ऐसा काट दीजिये कि फिर उसमे कोई ताकत बाकी न रहे।इनमे कुछ ख्याल ऐसे भी होंगे जिनका निपटारा आप न कर सके और वह आपकी बुद्धि से बाहर हो,तो उस वक्त आप उस ख्याल को ईश्वर/इष्टदेव के सामने बड़े दीन होकर रख दीजिये कि महाराज यह ख्याल है मेरी बुद्धि काम नही कर रही है मुझे क्या करना चाहिए,इस वास्ते आप से प्रार्थना है कि इसका सही सही डिस्पोजल आप कर दे जो मेरे करने की बात हो वह मुझसे कृपा करके करा दे।अब प्रार्थना जिस कदर गहरी होगी वैसा ही उसका फल होगा और वैसा ही उस ख्याल के डिस्पोजल में समय लगेगा।"
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