🌻"परम् पूज्य पापाजी बताते थे कि –
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव चच्चा जी महाराज की आध्यात्मिक साधना का मार्ग "प्रेम–मार्ग"है। उनकी यह साधना कितनी सरल,सत्य व महान है इसका अनुभव साधक लोग स्वयम करते होंगे।पूज्य चच्चा जी ने स्वयम कहा है कि जहाँ ईश्वर प्राप्ति के और सारे साधन खत्म हो जाते है वहाँ से हमारी साधना आरम्भ होती है।उनकी साधना में किसी प्रकार का बन्धन नही है सभी मत के अनुयायी इसका अभ्यास करके परम् लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।कैसा भी,किसी वर्ण का,दुराचारी एवम् पापात्मा भी उनके अभ्यास पर चलकर शुद्धात्मा बन सकता है।
🌻"इस सम्बन्ध में एक बड़ा रोचक प्रसङ्ग है:–
🌻"एक बड़ा डाकू एक घर में डाक डालने गया।जिस घर में उसने डाका डाला उस घर की महिला परम् पूज्य चच्चा जी के सत्संग में थी।जब वह उस घर में डाका डालने गया तो वह महिला जाग गयी।उस महिला ने कोई अस्त्र शस्त्र पास न होने के कारण पूज्य चच्चा जी की फ़ोटो उस डाकू के सिर पर मार दी।वह फ़ोटो उस डाकू के मस्तक पर लगी और उसका कांच टुकड़े टुकड़े होकर फ़ोटो जमीन पर गिर पड़ी।डाकू के सिर पर चोट लगी उसने भूमि पर लगी उस फ़ोटो को देखा।फ़ोटो देखते ही उसकी वृत्ति बदल गयी और वह डाकू वह फ़ोटो लेकर पूज्य चच्चा जी का पता लगाते लगाते उनके पास आया और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को सार्थक बनाया।पूज्य चच्चा जी किसी से भी कोई आदत छोड़ने को नही कहते थे।उनका कहना था कि यह सारी चीजे अपने आप अभ्यास,गुरु–कृपा व सत्संग द्वारा ऐसे समाप्त हो जाती है जैसे सूर्य के उदय होने पर अंधकार नष्ट हो जाता है तथा मन के सारे विकार खत्म होकर वह निर्मल जल की भांति शांत होकर ब्रह्म की आत्मवैयता को प्राप्त हो जाता है।"
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