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Thursday, 4 May 2017

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के हृदय में प्रेम, सेवाभाव, त्याग ,परदुःखकातरता आदि गुण सहज ही विद्यमान थे जो कि आध्यात्मिकता के मुख्य आधार है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के पश्चात आध्यात्मिक चर्चा के दौरान बताया कि-

🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के हृदय में प्रेम, सेवाभाव, त्याग ,परदुःखकातरता आदि गुण सहज ही विद्यमान थे जो कि आध्यात्मिकता के मुख्य आधार है।पूज्य चच्चा जी कहा करते थे कि प्रत्येक के अंदर यह गुण सूक्ष्म रूप से विद्यमान रहते है।अपनी साधना के माध्यम से साधक को इन गुणों को विकसित करना है।इन गुणो के विकसित होते ही आध्यात्मिक उन्नति स्वतः होने लगती है।" 
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🌻"पूज्य चच्चा जी महाराज नित्य प्रति की साधना पर विशेष जोर दिया करते थे।अभ्यास साधन का सार ईश्वर दर्शन का ज्ञान ही नही अपितु सदाचार भी है।यदि मनुष्य का आचरण ठीक नही हुआ तो उसकी समस्त साधना व्यर्थ हो जायेगी। अभ्यास का अर्थ किसी चीज को स्वतः में पूर्ण रूप से उतारना है एवम् नियमित रूप से अभ्यास साधना करनी है।पूज्य चच्चा जी ने अपने अमृत वचन में कहा है कि –
🌻"प्रत्येक साधक को आत्मोन्नति तथा ईश्वरभक्ति के साधन का रोजाना का हिसाब उसी तरह रखना चाहिये कि जिस तरह नित्यप्रति सरकारी खजाने का हिसाब खजांची रखता है।"🌻
अतः हम सबको जो इस मार्ग पर चल रहे है उन्हें नित्यप्रति अभ्यास करते रहना चाहिए।"🌻
🌻🌷*पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।*🌷🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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