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Monday, 8 May 2017

गुरु गोविन्द तो एक है दूजा यहु आकार। आपा मेट जीवत मरै तो पावे करतार

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"गुरु गोविन्द तो एक है दूजा यहु आकार।
आपा मेट जीवत मरै तो पावे करतार।।" 
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अर्थात–गुरु और ईश्वर तो एक ही है ,केवल देह का अंतर अर्थात् बाह्यीकृत रूप में भिन्नता है किन्तु आभ्यांत्रिकृत रूप एक ही है।( अपने आप को जीवत रहते हुए मारना अर्थात्) व्यक्ति ,जीव या साधक को स्वयम् जीवित रहते हुए अपने अहंकार को मारना होगा।तब वह निज स्वरूप को प्राप्त होकर अपने इष्टदेव /गुरुदेव में एकाकार होकर उन्हें प्राप्त कर पायेगा।

🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

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