🌻"आत्मोन्नति अथवा ईश्वर भक्ति ऐसी अमूल्य वस्तु है जिसके प्राप्त होने पर मनुष्य सदाचारी बन जाता है।
🌻"सदाचारी का गुण यह है कि उसका हृदय प्रेम से पिघला हुआ होता है।
🌻उसके नेत्र दूसरो की विपत्ति देख नही सकते।
🌻कान किसी की विपत्ति कहानी सुन नही सकते।
🌻वह अपना सर्वस्व न्योछावर करके दुखी प्राणी के दुःख निवारण का उपाय करने लगता है।
🌻दुखी हृदयो का दुःख दूर करने का वह हर सम्भव प्रयास करता है।
🌻सदाचारी मनुष्य सहनशील और उदार होता है।उसे अपने कुटुम्ब जाति और समाज की ही नही बल्कि सारे विश्व के प्राणियो के कल्याण की चिंता रहती है।
🌻वह निष्काम प्रेम भाव से बिना किसी भेद भाव व पक्षपात के प्रत्येक प्राणी की तन मन धन से निस्वार्थ सेवा करता है और ऐसी सेवा को परमात्मा की साक्षात् साकार सेवा समझता है।
🌻विश्व में सुख और शांति के लिए ऐसे ही सदाचारी मनुष्यो की आवश्यकता है।"
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