















इसका उद्देश्य क्या है?

यदि गम्भीरता पूर्वक हम जीवन के बारे में विचार करे तो पाते है कि जीवन का उद्देश्य मात्र भौतिक सुख सुविधाओ को हासिल करना और उसका आनन्द उठाने में ही नही है।मृत्यु एक अटल सत्य है जब मृत्यु आती है तो हमारे साथ केवल हमारे कर्म ही जाते है,और फिर उसी आधार पर जन्म होता है।यह आवागमन का चक्र कर्म बंधन के समाप्त होने पर ही छूटता है।............
पूज्य पापाजी परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के अनन्य भक्त थे ।वे जो कुछ भी करते ,वे पूज्य गुरुदेव में पूर्ण समर्पित भाव से करते।पूज्य पापाजी बताते थे जो भी कर्म करो उसको पूज्य गुरुदेव में पूर्ण समर्पित भाव से करो जिससे कर्म बन्धन में नही पड़ोगे।यदि समर्पित भाव पुष्ट है तो अच्छे बुरे सभी कर्मो की जिम्मेदारी स्वयम गुरुदेव वहन करते है और अपने भक्त एवम् शिष्य की रक्षा भी करते है।
..यदि कोई कर्म के सिद्धान्त को न भी माने तो भी आज समाज में मानवतावादी दृष्टिकोण की बहुत आवश्यकता है।'व्यवहारिक अध्यात्म' लोगो से किसी कर्मकांड के लिए नही कहता।इसका उद्देश्य मात्र लोगो को कर्तव्य पालन एवम् सदाचार के मार्ग पर अग्रसर करना है जिससे स्वस्थ समाज का निर्माण हो।......................
अंत में --
🌻"गुरु गोविन्द दोउ खड़े,काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपकी,गोविन्द दियो बताय ।"
🌻
हम लोग पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज एवम् पूज्य पापाजी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते है जिन्होंने अपनी कृपा करके हम लोगो को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाया।"
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बलिहारी गुरु आपकी,गोविन्द दियो बताय ।"

हम लोग पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज एवम् पूज्य पापाजी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते है जिन्होंने अपनी कृपा करके हम लोगो को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाया।"


















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