🌻"सत पंच चौपाई"
🌻के किष्किन्धाकाण्ड की अगली चौपाई प्रस्तुत है–
🌻"अब प्रभु कृपा करहुँ एहि भांति,
सब तजि भजन करहुँ दिन राती"
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🌻"(वानरराज सुग्रीव बालि के वध के पहले प्रभु श्री रामजी से कहते है कि आपकी कृपा से अब मेरा मन स्थिर हो गया है।मै सब कुछ त्यागकर आपकी सेवा ही करूँगा।बालि तो मेरा परम् हितकारी है जिसकी कृपा से शोक का नाश करनेवाले आप मुझे मिले)
हे प्रभो!अब तो इस प्रकार कृपा कीजिये कि सब छोड़कर दिन रात मै आपका ही भजन करूँ।"
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🌻"इस चौपाई के बारे मे बताते हुए पूज्य पापाजी कहा करते थे कि प्रत्येक साधक को अपने गुरुदेव से उपरोक्त प्रार्थना करते रहना चाहिए,क्योकि संसार के सभी सुख नश्वर है जो शाश्वत सुख है वे गुरुदेव प्रदान करते है। तथा साथ ही वे उसी प्रकार अपने भक्त की सांसारिक आवश्यकताओ की पूर्ति भी करते रहते है,और आध्यात्मिक रूप से भी उसे कल्याणकारी मार्ग की ओर ले जाते है,जिस प्रकार श्री राम ने सुग्रीव के क्षणिक वैराग्य के बाद भी उसकी सभी मनोकामनाये पूर्ण की।"
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