🌻"परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान बताया कि–
"संसार में रहते हुए बड़ी सावधानी से व्यवहार करना चाहिए। इस संसार में मन को कोई नही चाहता अतः मन के सहयोग से तन और धन से कार्य करो। यदि आप किसी से या अपनी पत्नी या पुत्र से कहो कि हम मन से तुम्हारा ध्यान रखते है,लेकिन उसकी जरूरते न पूरी करे तो क्या वे खुश होंगे।कहने का अर्थ है कि इस संसार में आपके मन को कोई नही चाहता।जिस मन को कोई नही चाहता उस मन को ईश्वर प्राप्ति में लगा दो।
🌻"पूज्य चच्चा जी कहा करते थे उन्हें कोई भेंट नही चाहिए,मन की भेट कोई दे सके तो दे। उनका कहना था जिस प्रकार लोभी या कंजूस अपना मन धन में ही लगाये रखता है।कोई सती नारी अपने पति के दर्शन हृदय में हमेशा करती रहती है वह संसार के सभी कार्य सहजता से करती है।उसी भांति प्रत्येक को अपने मन को इष्टदेव /सद्गुरु के चरणों में लगाकर संसार के कार्य करते रहना चाहिए।"
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