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Saturday, 15 April 2017

सन्त बिसुद्ध मिलहि परि तेही, चितवहिं राम कृपा करि जेहि।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के उत्तरकाण्ड की अगली प्रस्तुति–

🌻"सन्त बिसुद्ध मिलहि परि तेही,
चितवहिं राम कृपा करि जेहि।
गुरु बिन भव निधि तरहि न कोई,
जौ बिरंचि संकर सम होई।।" 
🌻
🌻"(कागभुशुण्डि जी से रामचरित सुनकर गरुण जी का सन्देह दूर हो गया और उन्होंने कहा )
"शुद्ध (सच्चे) सन्त उसी को मिलते है जिसे श्री रामजी कृपा करके देखते है।
(गरुण जी कहते है श्री रामजी की कृपा से मुझे आपके दर्शन हुए और आपकी कृपा से मेरा सन्देह चला गया।आगे वे कहते है)
"गुरु के बिना कोई भवसागर नही तर सकता ,चाहे वह ब्रह्माजी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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