

















चितवहिं राम कृपा करि जेहि।
गुरु बिन भव निधि तरहि न कोई,
जौ बिरंचि संकर सम होई।।"

🌻

"शुद्ध (सच्चे) सन्त उसी को मिलते है जिसे श्री रामजी कृपा करके देखते है।
(गरुण जी कहते है श्री रामजी की कृपा से मुझे आपके दर्शन हुए और आपकी कृपा से मेरा सन्देह चला गया।आगे वे कहते है)
"गुरु के बिना कोई भवसागर नही तर सकता ,चाहे वह ब्रह्माजी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो।"



















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