Like on FB

Friday, 21 April 2017

पाई न केहि गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना। गनिका अजामिल ब्याध गीध गजदि खल तारे घना।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻के उत्तरकाण्ड की चौपाइयो के पश्चात अब अंतिम छंद की प्रथम चार पंक्तिया व्याख्या सहित प्रस्तुत है–
🌻"पाई न केहि गति पतित पावन राम भजि सुनु सठ मना।
गनिका अजामिल ब्याध गीध गजदि खल तारे घना।
आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघरूप जे ।
कहि नाम बारक तेपि पावन होहि राम नमामि ते।।" 
🌻
🌻"अरे मूर्ख मन! सुन,पतितो को भी पावन करने वाले श्री रामजी को भजकर किसने परमगति नही पायी?
गणिका,अजामिल,ब्याध,गीध,गजआदि बहुत से दुष्टो को उन्होंने तार दिया।अभीर,यवन,किरात,खस,श्वपच(चांडाल)आदि जो अत्यंत पापरूप ही है ,वे भी केवल एक बार जिनका नाम लेकर पवित्र हो जाते है,उन श्री रामजी को मै नमस्कार करता हूँ।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

No comments:

Post a Comment