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Sunday, 2 April 2017

तदपि अनुज श्री सहित खरारी, बसतु मनसि मन कानन चारी।

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🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के अरण्यकाण्ड की अगली प्रस्तुति–

🌻तदपि अनुज श्री सहित खरारी,
बसतु मनसि मन कानन चारी।
जो कोसलपति राजिव नयना,
करउ सो राम हृदय मम अयना।

🌻"(मुनि सुतीक्ष्ण जी ने प्रभु से प्रार्थना की कि यद्यपि आप निर्मल ,व्यापक अविनाशी और सबके हृदय में निरन्तर निवास करने वाले है)तथापि हे खरारि श्री रामजी!लक्ष्मणजी एवम् सीताजी सहित वन में विचरने वाले आप इसी रूप में मेरे हृदय में निवास कीजिये।(हे स्वामी!आपको जो सगुण,निर्गुण और अंतर्यामी जानते हो,वे जाना करे )मेरे हृदय को तो कोसलपति कमलनयन श्री रामजी ही अपना घर बनावे।" 
🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

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