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Wednesday, 12 April 2017

उमा राम मृदुचित करुनाकर, बयर भाव सुमिरत मोहि निसिचर।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के लंकाकाण्ड की चौपाइया प्रस्तुत है–

🌻"उमा राम मृदुचित करुनाकर,
बयर भाव सुमिरत मोहि निसिचर।
देहि परम् गति सो जिय जानी,
अस कृपाल को कहहु भवानी।
अब प्रभु सुनि न भजहि भ्रम त्यागी,
नर मतिमंद वे परम् अभागी।।

🌻"(शिवजी कहते है)
हे उमा! श्रीरामजी बड़े ही कोमल हृदय और करुणा की खान है।(वे सोचते है कि)राक्षस मुझे वैरभाव से ही सही स्मरण तो करते ही है।ऐसा हृदय में जानकर वे उन्हें परमगति(मोक्ष)देते है।हे भवानी ! कहो तो ऐसे कृपालु (और)कौन है? प्रभु का ऐसा स्वभाव सुनकर भी जो मनुष्य भ्रम त्यागकर उनका भजन नही करते, वे अत्यंत मन्द बुद्धि और परम् भाग्यहीन है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

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