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Wednesday, 5 April 2017

जाकर नाम मरत मुख आवा, अधमउ मुकुत होइ श्रुतिगावा।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻के अरण्यकाण्ड की अंतिम कड़ी प्रस्तुत है–

🌻"जाकर नाम मरत मुख आवा,
अधमउ मुकुत होइ श्रुतिगावा।
जे न भजहि अस प्रभु भ्रम त्यागी,
ग्यान रंक नर मन्द अभागी।" 
🌻
🌻"सीताजी की खोज करते समय श्री रामजी जटायु से मिलते है।तब वे कहते है–हे तात!शरीर को बनाये रखिये।तब जटायु ने कहा–मरते समय जिनका नाम मुख में आ जाने से अधम(महान पापी)भी मुक्त हो जाता है,ऐसा वेद गाते है।(वही आप मेरे सामने खड़े है अब मै किस कमी की पूर्ति के लिए देह रखूँ।)

( नारद जी प्रभु श्री रामजी का अपने भक्तो के प्रति ममत्व और प्रेम का वर्णन करते हुए कहते है)
जो मनुष्य भ्रम को त्यागकर ऐसे प्रभु को नही भजते,वे ज्ञान के कंगाल,दुर्बुद्धि और अभागे है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

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