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"सदाचार एवम् दुराचार का विचारो से घनिष्ठ सम्बन्ध है।विचारो की उत्पत्ति मन से है इसलिए सभ्य और सदाचारी बनने के लिए मन को श्री भगवान के चरणों में लगाकर अच्छे कार्यो की ओर प्रेरित करना चाहिए।"
के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि प्रत्येक को अपने अंदर सद्गुण विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।इसके लिए मन पर नियंत्रण आवश्यक है क्योकि मन से ही विचार उत्पन्न होते है।यदि मन में निरन्तर सद्व्यवहार,सदमार्ग एवम् सदाचार विचरण करेगा,तो निश्चित रूप से मन सदाचार की ओर अग्रसर होगा तथा साथ ही यह ध्यान रखा जाये कि मेरे किसी आचरण से किसी को ठेस या आघात न पहुँचे तो बहुत से मानवीय गुण सहज रूप में आने लगेंगे जो हमे जीवन लक्ष्य की और स्वभाविक रूप से अग्रसर करेंगे।अतःअपने मन को श्री भगवान /इष्टदेव /सदगुरुदेव के चरणों में लगाकर निरन्तर अच्छे कार्यो की ओर प्रेरित करे।"
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