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Thursday, 13 April 2017

देहु भगति रघुपति अति पावन, त्रिबिध ताप भव दाप नसावनि।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के उत्तरकाण्ड की प्रथम कड़ी प्रस्तुत है–

🌻"देहु भगति रघुपति अति पावन,
त्रिबिध ताप भव दाप नसावनि।
प्रनत काम सुरधेनु कलपतरु,
होइ प्रसन्न दीजै प्रभु यह बरु।" 
🌻
🌻"(सनकादि ऋषि श्री रामजी से प्रार्थना करते है)
"हे रघुनाथ जी ! आप हमे अत्यंत पवित्र करने वाली और तीनो प्रकार के तापो और जन्म मरण के क्लेशो का नाश करने वाली भक्ति दीजिये।हे शरणागतों की कामना पूर्ण करने के लिए कामधेनु और कल्पवृक्षरूप प्रभो !प्रसन्न होकर हमे यही वर दीजिये।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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