

















त्रिबिध ताप भव दाप नसावनि।
प्रनत काम सुरधेनु कलपतरु,
होइ प्रसन्न दीजै प्रभु यह बरु।"

🌻

"हे रघुनाथ जी ! आप हमे अत्यंत पवित्र करने वाली और तीनो प्रकार के तापो और जन्म मरण के क्लेशो का नाश करने वाली भक्ति दीजिये।हे शरणागतों की कामना पूर्ण करने के लिए कामधेनु और कल्पवृक्षरूप प्रभो !प्रसन्न होकर हमे यही वर दीजिये।"



















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