














परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान बताया कि--

इस अभीष्ट को कैसे प्राप्त करे?
इस सम्बन्ध में यह बताना आवश्यक है कि गुरु ईश्वर का साकार रूप है और उनकी शरण में जाने पर सब कार्य स्वतः होने लगते है।इस आवश्यकता की पूर्ति सन्तो की कृपा से होती है। सन्त कैसे मिलते है?सन्त प्रभु कृपा से मिलते है।यह बड़ी विलक्षण बात है कि प्रभु कृपा से सन्त मिलते है और सन्त कृपा से प्रभु मिलते है--

गुरुर्साक्षात परमब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

इसका आशय है कि गुरु ब्रह्मा विष्णु और महेश इन तीनो के प्रतिरूप स्वरूप है।गुरु की उपासना को ब्रह्म की उपासना कहा गया है।श्री भगवान निराकार है गुरु के रूप में ही उनका साकार रूप विद्यमान है।अतः सन्तों का सानिध्य प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिए"।


"मिलता है सच्चा सुख,
केवल आपके चरणों में।
यह विनती है पल छिन छिन की,
रहे ध्यान आपके चरणों में।



















