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परम् पूज्य पापाजी ने मन की पवित्रता एवम् शुद्धता के बारे में बताते हुए कहा कि-
" प्रत्येक मनुष्य को मन की निर्मलता पर ध्यान देना आवश्यक है। इसी सम्बन्ध में परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि-
""मन के कहने पर चलने से मनुष्य शक्तिहीन,दुखी और संसार के लिए अनुपयोगी बनता है ।यदि सच्चे सुख की चाहना हो तो सन्देह करना,राग-द्वेष,घृणा,ईर्ष्या करना और विकारो के वशीभूत होना छोड़ देना चाहिए।दृढ़ता के साथ मन को किसी को अर्पण कर देने पर ही ऐसी साधनाओ का होना सम्भव है।""
अतः हम सबको यह प्रयास करना चाहिए कि अपने गुरुदेव में पूर्ण समर्पित भाव से उनके आदर्शो को जीवन में उतारे।अन्य लोग जिनकी जिसमे आस्था एवम् विश्वास है उनमे पूर्ण समर्पित भाव से उनके बताये हुए मार्ग पर चलने का सङ्कल्प करे।"

















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