वास्तव में अध्यात्म का मूल आधार साधना है।साधना जीवन का कोई खण्ड या अंश नही है,वह समग्र जीवन है
🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌻***~ॐ~***🌻 🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻 🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻 परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के श्री चरणों में समर्पित पूज्य पापाजी के दिव्य वचनो के कुछ अंश उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत है– 🌻"वास्तव में अध्यात्म का मूल आधार साधना है।साधना जीवन का कोई खण्ड या अंश नही है,वह समग्र जीवन है।मनुष्य का आचार-व्यवहार इत्यादि सभी साधनामय होना चाहिए।जीवन ऐसा जिये कि सारा जीवन ही पूजा और प्रार्थना बन जाये।विद्या कोई भी हो लौकिक या आध्यात्मिक उसके सारतत्व को समझने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है।गुरु मनुष्य के अंदर व्याप्त अज्ञान रूपी अंधकार को अपने ज्ञान के प्रकाश से दूर कर देते है।मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है यह जन्म बार बार नही मिलता।मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य परमात्मा की प्राप्ति है।परमात्मा ज्ञेय है अज्ञेय नही।इसकी अनुभूति सद्गुरु के माध्यम से सम्भव है।जब जीवन मे सद्गुरु की प्राप्ति होती है तभी मनुष्य मुक्ति की ओर अग्रसर होता है।सद्गुरु एक आईने के समान होते है जो अपने भक्तो को उनके रूप के बारे में दर्शाते है।सद्गुरु की शरण में आया व्यक्ति आत्म ज्ञान के पश्चात अपने विचारो के द्वन्द से मुक्त होकर श्रेष्ठ जीवन जीने लगता है।पूर्णता सद्गुरु से आती है।ज्ञान योग ,भक्ति योग,कर्मयोग प्रत्येक के अंत में यही कहा गया है गुरु कृपा बिना यह सब असम्भव है-- "गुरु बिन भव निधि तरहि न कोई, जो विरंचि शंकर सम होई ।।"🌻 🌻*🌷*परम् पूज्य समर्थ सद्गुरु महाराज जी हम सबको अपनी शरण में लेने की कृपा करे।*🌷*🌻 🌹🌹🌹🌹🌹(क्रमशः)********
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