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परम् पूज्य चच्चा जी महाराज के अनन्य भक्त श्री काशी प्रसाद जी ने परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी के बारे में कहा है कि–
"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज वास्तव में राजा जनक की भाँति 'विदेह'थे।संसार में रहते हुए संसार से अनासक्त।निष्काम कर्म की उपासना उनके जीवन का लक्ष्य था।मानवता की सेवा को ही सच्ची ईश्वर सेवा मानते थे।वे अपने युग के विशाल प्रकाश स्तम्भ थे जिसके आलोक में न जाने कितने पथ भृष्ट साधको को सम्यक दिशा बोध मिला।उनके सहज मार्ग पर हर प्राणी चल सकता है।चाहे वह किसी भी पन्थ,सम्प्रदाय अथवा मजहब का मानने वाला क्यों न हो।उनका पन्थ सबका पन्थ था।उसमे सबके अभ्युदय की बात थी।यही कारण है कि उनकी पूजा में हिन्दू,मुसलमान,सिख,ईसाई,हरिजन,
वैषणव,शाक्त,आस्तिक,राजपुरुष,नेता,मंत्री,अधिकारी एवम् छोटे छोटे कर्मचारी भी समान रूप में सम्मिलित होकर विश्व की कल्याण कामना करते हुए सदाचरण के मार्ग पर चलने के इच्छुक रहा करते थे।"


( क्रमशः)**************
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