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Saturday, 4 February 2017

सद्गुरु के बिना कोई भवसागर नही तर सकता,चाहे वह ब्रह्माजी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो

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🌻🌻🌻🌻*~ॐ~*🌻🌻🌻🌻
🌻🌻🌻*श्री गुरुवे नमः🌻🌻🌻
🌻"गुरु बिन भव निधि तरहि न कोई।🌻
🌻 जो विरंचि शंकर सम होइ।।🌻
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🌻"सद्गुरु के बिना कोई भवसागर नही तर सकता,चाहे वह ब्रह्माजी और शंकर जी के समान ही क्यों न हो।🌻
परम् पूज्य पापाजी ने बताया कि-


🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अध्यात्म क्षेत्र में कुछ मूलभूत परिवर्तन किये,उनमे से एक पितृपक्ष में होंने वाले सांसारिक तर्पण के स्थान पर दशहरा के अवसर पर आध्यात्मिक तर्पण आरम्भ करना था।प्रायः लोग पितृपक्ष के दौरान परम्परा गत श्राद्ध द्वारा पितरो का तर्पण करते है जो कि केवल कर्मकांड तक ही सीमित रह जाता है किन्तु पूज्य गुरुदेव ने इसका स्वरूप बदला और दशहरे के अवसर पर सामूहिक आध्यात्मिक श्राद्ध तर्पण का अलौकिक एवम् अद्भुत कार्यक्रम आरम्भ कर पितरो का वास्तविक श्राद्ध एवम् तर्पण कराया।इस अवसर पर वे दिवंगत आत्माओ की शांति के लिए ईश्वर से स्वयम प्रार्थना करते एवम् सभी सत्संगी भाइयो से कराते थे।इस प्रकार उन्होंने बाह्य कर्मकांड के स्थान पर अंतर्मन से वास्तविक श्राद्ध की प्रक्रिया आरम्भ की।
पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रारम्भ की हुई इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पूज्य पापाजी भी दशहरे के अवसर पर शांति पाठ कराते थे।पूज्य पापाजी की सूक्ष्म संरकक्षता में दशहरे के पावन पर्व पर उनके निवास स्थान पर आज यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।"


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🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना है कि वे हम सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान करने की कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻 






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