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परम् पूज्य पापाजी अपने निवास स्थान पर सत्संग कराते थे।सत्संग के पश्चात आध्यात्मिक चर्चा के दौरान –

एक भक्त पूछा कि मेरा मन पूजा या अभ्यास में लगता नही है। मुझे क्या करना चाहिए?

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"मैमंता मन मारि रे ,नान्हा करि करि पीस।।अर्थात अपने मन के काम क्रोध लोभ मोह आदि के छोटे छोटे टुकड़े कर के उसे नियंत्रित कीजिये।








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