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परम् पूज्य पापाजी सदैव यह कहा करते कि अपने गुरुदेव पर अटूट विश्वास रखना चाहिए ।इस सम्बन्ध में परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि–
"दरअसल गुरु-आज्ञा पालन करना बहुत बड़ा काम है और उनकी आज्ञा का पालन उसी वक्त हो सकता है जब हमारा उनमे दृढ विश्वास हो।दृढ विश्वास का होना कोई मामूली बात नही है।इसी के वास्ते यह अभ्यास किया जाता है।चिंताओं में या तबियत के खिलाफ कोई बात होने पर दृढ विश्वास में कमी मालूम होती है और उस वक्त विश्वास का कायम रहना बहुत मुश्किल काम है।"
पूज्य पापाजी कहते थे कि गुरु में विश्वास का अर्थ पूर्ण समर्पण है।हमे सच्चे सद्गुरु मिले है वे हमारा अवश्य उद्धार करेंगे ।हमारे लिए जो शुभ और कल्याणकारी हो वही होगा चाहे देखने में वह प्रतिकूल हो ।यह भी विश्वास रखना होगा कि परम् समर्थ सद्गुरु मेरे साथ है मेरा बाल भी बांका नही हो सकता।मुझे हर हाल में उनका संरक्षण प्राप्त है।हमारी सम्पूर्ण पूजा पाठ ,इष्ट एवम् आराध्य हमारे गुरु ही है।एक प्रेमी सत्संगी भाई के लिए गायत्री मन्त्र का 'भर्गो देवस्य धीमहि'का अर्थ 'उन परम तेज स्वरूप श्री सदगुरुदेव को हम धारण करे'होता है।'राम'में अपने 'राम',कृष्ण में अपने कृष्ण ,शंकर में अपने शंकर ,दयाल में अपने दयाल दिखाई देते है उनमे रम जाना,लय हो जाना ही समर्पण है।"


तब कौन बिगार करै नर तेरो।


परम् पूज्य गुरुदेव आपकी जय हो,जय हो,जय हो।













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