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1,शुद्ध आहार ,2,ईश्वरोपासना ,
3,कर्तव्य पालन,4,परोपकार
अतः हमे नियमपूर्वक एकांत में बैठकर कुछ समय आत्मनिरीक्षण के लिए देना चाहिये ।हमको यह देखना है हमने क्या भोजन किया,दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ,किस तरह के विचार आये,पूजा में क्या हालत रही,दिन भर क्या गलतियाँ की और अपने कर्तव्य का किस सीमा तक पालन किया ऐसा करने में क्या त्रुटिया हुई ।दिन भर की पूरी स्थिति की समीक्षा करनी है,फिर उसके लिए प्रायश्चित करना एवम् ईश्वर से प्रार्थना करना कि हमसे जो त्रुटिया हुई है उनको वह क्षमा करें एवम् मेरे ऊपर निगरानी रखे ताकि वह त्रुटिया दुबारा न हो ।यह क्रिया रात को सोते समय और प्रातः उठने पर करनी होगी।
आत्मनिरीक्षण से प्राणी को आत्मशुद्धि का बीज मन्त्र प्राप्त होता है और निरन्तर अभ्यास करते करते नए स्वर्ण की भांति अपने मन को शुद्ध कर लेता है ।"


















क्रमशः ........
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