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सात समुद्र की मसि करूँ,गुरु गुन लिखा न जाय।"


गुरुर्साक्षात परमब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।"

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पूज्य चच्चा जी ने लिखा है "सद्गुरु जैसा स्वयम होता है वैसा ही अपने शिष्य को बना देता है ।गुरु कृपा के बिना कोई संसार-सागर से पार नही हो सकता ।राम चरित मानस में तुलसी दास जी ने भी कहा है ।

जो विरंचि शंकर सम होइ ।।"

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गुरु तत्व ही ब्रह्म तत्व है ।ब्रह्म का रूप प्रकाश है ।गुरु शब्द का अर्थ है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये।अंधकार माया है ।प्रकाश ब्रह्म है। गुरु जीव को माया से हटाकर ब्रह्म की ओर ले जाते है ।गुरु ही ब्रह्म का साकार रूप है ।सद्गुरु की प्राप्ति से हीआत्म
साक्षात्कार सम्भव होता है,जो मानव जीवन का चरम लक्षय है ।सद्गुरु की प्राप्ति असम्भव नही तो कठिन अवश्य है ।हम लोगो का परम् सौभाग्य है की हम लोगो को परम् सन्त श्री भवानी शंकर जी (चच्चा जी )महाराज की प्राप्ति हुई ।उनकी अलौकिक महिमा का वर्णन शब्दों की परिधि के बाहर है । अतः
गुरु तत्व ही ब्रह्म तत्व है ।ब्रह्म का रूप प्रकाश है ।गुरु शब्द का अर्थ है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये।अंधकार माया है ।प्रकाश ब्रह्म है। गुरु जीव को माया से हटाकर ब्रह्म की ओर ले जाते है ।गुरु ही ब्रह्म का साकार रूप है ।सद्गुरु की प्राप्ति से हीआत्म
साक्षात्कार सम्भव होता है,जो मानव जीवन का चरम लक्षय है ।सद्गुरु की प्राप्ति असम्भव नही तो कठिन अवश्य है ।हम लोगो का परम् सौभाग्य है की हम लोगो को परम् सन्त श्री भवानी शंकर जी (चच्चा जी )महाराज की प्राप्ति हुई ।उनकी अलौकिक महिमा का वर्णन शब्दों की परिधि के बाहर है । अतः

जेहि सुमिरत अघ सब मिट जाता ।"

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पूज्य गुरुदेव के चरण कमलो की वन्दना करते है जिनके स्मरण मात्र से समस्त पापो का नाश हो जाता है ।
पुनः
पूज्य गुरुदेव के चरण कमलो की वन्दना करते है जिनके स्मरण मात्र से समस्त पापो का नाश हो जाता है ।
पुनः

है अति सरल उपाय।
गुरु चरनन में मन रहे ।
सब ही होइ सहाय ।।"


















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