मेरे तो स्वामी,गुरु,माता और पिता सब कुछ आप ही है।आपके चरण कमल को छोड़ कर मै कहा जाऊँ
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌻🌻🌻🌻*~ॐ~*🌻🌻🌻🌻 🌻🌻🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻🌻🌻 🌻"मोरे तुम प्रभु गुरु पितु माता।🌻 🌻जाऊँ कहा तज पद जलजाता।।🌻 🌻"मेरे तो स्वामी,गुरु,माता और पिता सब कुछ आप ही है।आपके चरण कमल को छोड़ कर मै कहा जाऊँ।"🌻 🌻"परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान बताया कि– 🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज कहा करते थे कि-🌻""साधक को अपने गुरुदेव के ध्यान में स्थित होकर नित्य आत्म निरीक्षण तथा आत्म परिष्कार करते रहना चाहिए ।""🌻हमे अपने व्यवहार पर सदैव नजर रखनी चाहिए।हम दूसरो से अपने प्रति जैसे व्यवहार की आशा करते है वैसा व्यवहार हम दूसरो के प्रति नही करते।हम अपने प्रति क्षमा,न्याय और प्रेम की आशा करते है पर दूसरो के प्रति दण्ड की व्यवस्था चाहते है।हम अपने प्रति सत्यता,ईमानदारी,विनम्रता एवम् सम्मान की आशा करते है परन्तु स्वयम दूसरो के प्रति झूठ,बेईमानी,अपमान एवम् कटुतापूर्ण व्यवहार करते है।यह व्यवहार ही हमारे अंदर राग द्वेष उत्पन्न करता है और यही दुःख का कारण होता है।क्षमा करने से द्वेष प्रेम में बदल जाता है।यही मुक्ति और भक्ति के मूल में है।वास्तविक आनन्द है।आत्म निरीक्षण हमे विषयो से विमुख कर अंतर्मुखी बनाता है।हमे अपने दोषो को दूर करने के लिए निरन्तर पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना करते रहना चाहिए और इसे साधना का अंग बना लेना चाहिए।प्रार्थना में किसी प्रकार की चाटुकारिता की आवश्यकता नही होती,वह तो हृदय से निकले हुए वह शब्द है जो प्रार्थी की आध्यात्मिक शक्ति को सम्पन्न बनाने का सशक्त एवम् सफल साधन है।पूज्य गुरुदेव के बताये हुए साधना के मार्ग पर हम तभी बिना अवरोध के प्रगति कर सकते है जब हम निरन्तर आत्म परिष्कार की प्रक्रिया में लगे रहे तथा साथ ही गुरुदेव के बताये हुए उपदेशो और वचनो को अपने जीवन में न केवल उतारे बल्कि उन्हें आत्मसात भी करे।" 🌻 🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻
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