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Thursday, 23 February 2017

करुनायतन प्रभु सद्गुनाकर, देव यह बर मांगही। मन वचन कर्म बिकार तजि, तव चरन हम अनुरागही।।

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷* 

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परम् पूज्य पापाजी सदैव अपने पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के बताये हुए मार्ग पर चलते हुए उन्ही के ध्यान में लीन रहते हुए लोगो का मार्गदर्शन करते रहे।सत्संग के दौरान रामचरितमानस एवम् भगवद्गीता का पाठ कराते एवम् इसके गूढ़ तत्वों को समझाते रहते थे।
इसी परिप्रेक्ष्य में वे रामचरितमानस के निम्नांकित छंद को बड़े भाव से पढ़ते एवम् प्रार्थना के लिए बताया करते थे।प्रस्तुत है छंद की कुछ पंक्तिया--


🌻🌻🌻"करुनायतन प्रभु सद्गुनाकर,
देव यह बर मांगही।
मन वचन कर्म बिकार तजि,
तव चरन हम अनुरागही।।"


🌻🌻🌻"अर्थात हे करुणा के धाम,मेरे प्रभु,सद्गुणों की खान मेरे परम् पूज्य गुरुदेव हम आप से यह प्रार्थना करते है कि आप हम पर इतनी कृपा करे कि हम सब मन,वचन और कर्म से विकारो को त्याग कर आपके श्री चरणों में ही प्रेम करे,क्योकि आपकी कृपा के बिना मन वचन और कर्म इन तीनो पर नियंत्रण किया ही नही जा सकता।"🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻*🌷*हे गुरुदेव,सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखिये।*🌷*🌻
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹(क्रमशः)🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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