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Sunday, 12 February 2017

परम् पूज्य पापाजी ने श्रद्धा-विश्वास के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी द्वारा सुनाया गया एक दृष्टांत सुनाया जो प्रस्तुत है--

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🌻🌻***~ॐ~***🌻🌻
🌻🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻🌻
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परम् पूज्य पापाजी ने श्रद्धा-विश्वास के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी द्वारा सुनाया गया एक दृष्टांत सुनाया जो प्रस्तुत है--

"एक गुरु के कुछ शिष्य थे ।उनमे से एक शिष्य जल औषधि के रूप में देता था,जिससे लोगो की समस्त व्याधिया दूर हो जाती थी।उसकी ख्याति दूर दूर तक पहुँची।एक अन्य शिष्य जो काफी पुराना था ,उसने पूछा कि तुम्हारे पास ऐसा कौन सा मन्त्र है जिसके अभिमन्त्रित जल से सब ठीक हो जाते है।शिष्य ने कहा मेरे पास कोई मन्त्र नही है,मै गुरुपूर्णिमा के अवसर पर पूज्य गुरुदेव के चरणों को धोकर जो जल लाता हूँ वही औषधि के रूप में वितरित करता हूँ।उस दूसरे शिष्य ने सोचा कि मै भी ऐसा ही करूँ।उसने यह प्रचार करवा दिया कि जिसको कोई व्याधि हो वो औषधि ले जाये।लोग आने लगे पहला शिष्य जहाँ एक चम्मच जल देता था वही दूसरा शिष्य एक गिलास जल देने लगा,लेकिन किसी को कोई फायदा नही हुआ।तब वह शिष्य गुरु के पास पहुँचा,और उसने सारा किस्सा बयान किया। गुरुदेव ने कहा कि वह जो कुछ भी करता है उसमे श्रद्धा और विश्वास की भावना है एवम् पूर्ण समर्पण है ,तुम केवल कर्म कांड कर रहे थे,कि वो ऐसा कर रहा है तो मै भी करूँ,तुम्हारे अंदर वो समर्पित भाव एवम् श्रद्धा विश्वास की भावना नही आ पायी।"


पूज्य पापाजी ने यह दृष्टान्त सुनाते हुए बताया कि कहने का तात्पर्य यह है कि श्रद्धा समर्पण के साथ की जाये तभी फलीभूत होती है।सम्पूर्ण अध्यात्म की पृष्ठभूमि श्रद्धा विश्वास एवम् पूर्ण समर्पण में ही निहित है।
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻
क्रमशः....................................

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