






















🌻
परम् पूज्य गुरुदेव चच्चा जी(उरई वाले)महाराज कई शिष्य एवम् भक्त है।उनमेसे आज एक अनन्य भक्त से सबका परिचय कराता हूँ ।उनका नाम काशी प्रसाद है ,जो लखनऊ में निवास करते है ।उनकी पूज्य गुरुदेव में अटूट निष्ठा एवम् गहरा समर्पण है ।उनका पूरा जीवन चच्चा मय हो गया है ।उन्होंने अपने निज भवन के अग्रभाग में "सदाचार आश्रम "के नाम से सद्गुरु भगवान सन्त श्री भवानी शंकर जी महाराज(चच्चा जी)के मन्दिर की स्थापना कराई,जहां नित्य प्रति प्रातः एवम् सांय सत्संग एवम् आरती होती है। पूज्य गुरुदेव के जन्म दिवस पर वहाँ विशाल भंडारा एवम् आध्यात्मिक कार्य क्रम होता है ।उन्होंने अपने जीवन की घटना सुनाई जिसके बाद उनका पूज्य गुरुदेव में गहरा प्रेम और समर्पण हो गया।
पूज्य चच्चा जी एवम् उनकेशिष्यो के साथ मैं(काशी प्रसाद)अयोध्या गया था
उस समय मै चच्चा जी के अलावा हनुमान जी का भी भक्त था ।उस दिन मंगलवार था मैं हर मंगल को प्रसाद चढ़ाता था ।उस दिन भी हनुमानजी के मन्दिर में प्रसाद चढ़ाने के उद्देश्य से मैं प्रसाद ले आया।किन्तु मैं असमन्जस में था कि चच्चा जी के होते अगर मन्दिर जाता हूँ तो उनमे विश्वास की कमी होगी यह सोचता हुआ मैं बैठ गया,तभी मैंने देखा कि एक विशालकाय बन्दर कमरे में आया और प्रसाद से लड्डू उठाकर चला गया ।यह देखकर मैं रोमांचित हो उठा ,सारी असमन्जस की स्थिति समाप्त हो गयी ।पूज्य चच्चा जी ही मेरे रामजी हनुमानजी है ।तब से चच्चा जी ही मेरे सर्वस्व है।"
















No comments:
Post a Comment