Like on FB

Wednesday, 31 May 2017

पूज्य पापाजी कहते थे कि गुरु में विश्वास का अर्थ पूर्ण समर्पण है

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी सदैव यह कहा करते कि अपने गुरुदेव पर अटूट विश्वास रखना चाहिए ।इस सम्बन्ध में परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि–

"दरअसल गुरु-आज्ञा पालन करना बहुत बड़ा काम है और उनकी आज्ञा का पालन उसी वक्त हो सकता है जब हमारा उनमे दृढ विश्वास हो।दृढ विश्वास का होना कोई मामूली बात नही है।इसी के वास्ते यह अभ्यास किया जाता है।चिंताओं में या तबियत के खिलाफ कोई बात होने पर दृढ विश्वास में कमी मालूम होती है और उस वक्त विश्वास का कायम रहना बहुत मुश्किल काम है।" 
🌻
🌻"पूज्य पापाजी कहते थे कि गुरु में विश्वास का अर्थ पूर्ण समर्पण है।हमे सच्चे सद्गुरु मिले है वे हमारा अवश्य उद्धार करेंगे ।हमारे लिए जो शुभ और कल्याणकारी हो वही होगा चाहे देखने में वह प्रतिकूल हो ।यह भी विश्वास रखना होगा कि परम् समर्थ सद्गुरु मेरे साथ है मेरा बाल भी बांका नही हो सकता।मुझे हर हाल में उनका संरक्षण प्राप्त है।हमारी सम्पूर्ण पूजा पाठ ,इष्ट एवम् आराध्य हमारे गुरु ही है।एक प्रेमी सत्संगी भाई के लिए गायत्री मन्त्र का 'भर्गो देवस्य धीमहि'का अर्थ 'उन परम तेज स्वरूप श्री सदगुरुदेव को हम धारण करे'होता है।उनमे रम जाना,लय हो जाना ही समर्पण है।

🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

Tuesday, 30 May 2017

परमात्मा गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज समाज सुधारक ही नही बल्कि युगदृष्टा भी थे

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी ने परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के बारे में आध्यत्मिक कार्यक्रम के दौरान बताया कि--
🌻"परमात्मा गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज समाज सुधारक ही नही बल्कि युगदृष्टा भी थे,उन्हें समाज की गिरती हुई नैतिकता का पूरा आभास था।

अतः उन्होंने अपने उपदेशो में सदाचार एवम् कर्तव्य पालन पर विशेष बल दिया उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक है।
इस विषय पर उन्ही के द्वारा निर्धारित नियमो का कई पुस्तको में उल्लेख किया गया है।देखने और पढ़ने में यह छोटी छोटी बाते लगती है किन्तु उनके अनवरत अभ्यास से मनुष्य का आमूल परिवर्तन होकर स्वतः उसका आध्यात्मिकता को प्राप्त होना सुनिश्चित है। 
 
संक्षेप में मै यह कहना चाहूँगा कि अध्यात्म और सद्व्यवहार दोनों ही एक दूसरे के पूरक है।एक के अभाव में दूसरे की उन्नति बाधक है।दोनों के सम्पूर्ण सहयोग से ही आदर्श प्रस्तुत किया जा सकता है।
आज के बदलते हुए परिवेश में सभी सन्तों से मेरा विनम्र निवेदन है कि वे समाज के सही मार्गदर्शन के लिए आगे आये जिससे वास्तविक रूप से लोगो का कल्याण हो सके।

🌻*🌷 परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻