


















भगवान राम या भगवान कृष्ण के जीवन को देखे तो भगवान राम ने जीवन में बहुत से दुःख सहे।पांडव के साथ स्वयम श्री कृष्ण थे फिर भी उन्हें अनेकानेक कष्ट सहने पड़े।कहने का तात्पर्य यह है कि सांसरिक कष्ट सञ्चित कर्मो के फल है।
जब हम सद्गुरु की शरण में जाते है तो उनकी कृपा से वे कष्ट आसानी से कट जाते है।
गुरु की कृपा से हम कर्म करते हुए भी कर्म बन्धन में नही फसते।..............(क्रमशः)"


















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