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Monday, 3 July 2017

यह मनुष्य शरीर भवसागर को पार करने के लिए जहाज है।मेरी (इष्टदेवकी)कृपा ही अनुकूल वायु है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"परम् पूज्य पापाजी ने रामचरितमानस की इन चौपाइयों के बारे में बताते हुए सत्संग के दौरान बताया कि–
🌻"नर तनु भव बारिधि कहुँ बेरो,
सन्मुख मरुत अनुग्रह मेरो।
करनधार सद्गुरु दृढ नावा,
दुर्लभ साज सुलभ करि पावा।"
🌻कहने का अर्थ है कि "यह मनुष्य शरीर भवसागर को पार करने के लिए जहाज है।मेरी (इष्टदेवकी)कृपा ही अनुकूल वायु है।जिस प्रकार वायु अनुकूल होने पर जहाज सुगमता से अपने लक्ष्य पर पहुँच जाता है ठीक उसी प्रकार यदि सद्गुरु की कृपा मिल जाये तो मानव जीवन का लक्ष्य सुगमता से प्राप्त किया जा सकता है।सद्गुरु की शरण में पहुँचने से वे भक्त के शरीर रूपी जहाज के खेवनहार स्वयम बनकर उसे पार लगा देते है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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