🌻"परम् पूज्य पापाजी की वचनो की श्रृंखला की
🌻* तृतीय कड़ी *
की प्रस्तुति–
🌻"जब भक्त सद्गुरु की शरणागत होता है तब वे उसे इतनी शक्ति प्रदान करते है जिससे वह अपने संचित कर्मो के फल को आसानी से काट ले, साथ ही वे नये कर्मो के फल को बनने से रोकते है।
कहने का अर्थ है कि गुरु हमारे पुराने संस्कारो को काटते है और नए संस्कार बनने नही देते।यह अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योकि जब नए संस्कार नही बनेंगे तभी हम जन्म मृत्यु के चक्कर से छुटकारा पाएंगे और जीवन के चरम लक्ष्य की प्राप्ति कर पाएंगे।"
🌻.......(क्रमशः)
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