
















प्रतिदिन आत्म अवलोकन करना चाहिए जिससे साधक के अंदर कुप्रवृत्तिया प्रवेश न कर सके।
श्रद्धा विश्वास एवम् समर्पण आध्यात्मिकता के शिखर पर पहुँचने के विभिन्न सोपान है।अपने गुरुदेव में अटूट निष्ठा एवम् पूर्ण समर्पण साधक के लिए आध्यात्मिकता के शिखर तक पहुँचने के सभी द्वार खोल देती है ।
साधना की निरन्तरता एवम् गुरुदेव में अडिग आस्था इस जगत की वह पूंजी है जिसके माध्यम से साधक आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ता चला जाता है।"


















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