🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌻***~ॐ~***🌻 🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻 🌻*-🌷-🌷-🌷-* 🌻 परम पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान बताया कि- 🌻"प्रत्येक साधक को अपने जीवन के विषय में बार बार सोचना चाहिये कि हमसे क्या क्या गलतिया हुई और उनके प्रायश्चित के लिए हम क्या कर रहे है।अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयत्न करते हुए निरन्तर प्रार्थना करते रहना चाहिए।प्रार्थना में बड़ी शक्ति है इससे आत्म शोधन को प्रक्रिया तीव्र गति से होती है।जिसे हम आत्म सुधार एवम् आत्म परिष्कार कहते है यदि उसकी उपेक्षा की जायेगी तो साधना में पर्याप्त लाभ नही प्राप्त होगा।जैसे कोई रोगी वैद्य के पास जाकर इलाज कराये और उसकी दी हुई दवा पूरी तौर से न खाये तो उसे पूरा लाभ नही होगा,उसी प्रकार यदि साधक सद्गुरु के बताये मार्ग पर पूरी तौर से नही चलेंगे तो कैसे अपने लक्ष्य तक पहुँच पाएंगे।यदि लोग यह सोचेंगे की केवल व्रत करना,जप करना,रामायण पढ़ना काफी है तो उतना फायदा नही होगा जितना होना चाहिए।आध्यात्मिक जीवन की पहली सीढ़ी ही परिष्कृत जीवन,कर्तव्य पालन एवम् सदाचार है जो कि परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी द्बारा बताये हुए मार्ग की आधारशिला है।पूज्य गुरुदेव के आदर्श जीवन चरित से प्रेरणा लेते हुए उनके उपदेशो को जीवन में उतारते हुए अगर साधना की जायेगी तो सब शीघ्र ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकेंगे।"🌻 🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻
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