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Thursday, 19 January 2017

परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की पौत्री श्रीमती उमा श्रीवास्तव ने अपने संस्मरण के साथ अपने हृदय के भावपूर्ण उदगार व्यक्त किये है

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🌻***~ॐ ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की पौत्री श्रीमती उमा श्रीवास्तव ने अपने संस्मरण के साथ अपने हृदय के भावपूर्ण उदगार व्यक्त किये है जो उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत है-

🌻"हमारे परम् पूज्य बाबा साहब जी अत्यंत उच्चकोटि के गृहस्थ सन्त थे।आसानी से उन्हें पहचानना कठिन था,क्योकि उनकी दिनचर्या साधारण मनुष्यो के समान थी।वे प्रतिक्षण अपने परम पूज्य परमात्मा गुरुदेव के ध्यान एवम् स्मृति में लीन रहते थे ।उनकी साधना रात दिन चलती रहती थी।उनकी आध्यात्मिक ऊँचाई को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है यह तो हृदय के कुछ उदगार मात्र है।वे त्रिकालदर्शी थे,सबके हृदय की बात जानते थे इस सम्बन्ध में मुझे एक संस्मरण याद है-
"बात 1971 की है,तब मै 9 वर्ष की थी,उसी समय मेरी नानीजी के स्वर्गवास की सूचना मिली।मेरे माता पिता कानपुर चले गए थे परन्तु मै वहाँ न जा सकी,मेरी भी नानी से मिलने की हार्दिक इच्छा थी।मैने पूज्य चच्चा जी का(मेरे बाबा साहब)का स्मरण किया,वे तो अंतर्यामी थे ही मेरे मन की बात जान गए और उन्होंने मुझे नानीजी के दर्शन उरई में ही करवा दिए।जिसके लिए मै हृदय से उनकी आभारी हूँ।यह मेरा परम् सौभाग्य है कि इतने बड़े सन्त मेरे बाबा साहब थे।"🌻


🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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