














परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की पौत्री श्रीमती उमा श्रीवास्तव ने अपने संस्मरण के साथ अपने हृदय के भावपूर्ण उदगार व्यक्त किये है जो उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत है-

"बात 1971 की है,तब मै 9 वर्ष की थी,उसी समय मेरी नानीजी के स्वर्गवास की सूचना मिली।मेरे माता पिता कानपुर चले गए थे परन्तु मै वहाँ न जा सकी,मेरी भी नानी से मिलने की हार्दिक इच्छा थी।मैने पूज्य चच्चा जी का(मेरे बाबा साहब)का स्मरण किया,वे तो अंतर्यामी थे ही मेरे मन की बात जान गए और उन्होंने मुझे नानीजी के दर्शन उरई में ही करवा दिए।जिसके लिए मै हृदय से उनकी आभारी हूँ।यह मेरा परम् सौभाग्य है कि इतने बड़े सन्त मेरे बाबा साहब थे।"

















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