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Tuesday, 17 January 2017

"मन के नियंत्रण में होने वाली परेशानी एवम् उसे किस प्रकार दूर किया जाये"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-* 
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परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान –

"मन के नियंत्रण में होने वाली परेशानी एवम् उसे किस प्रकार दूर किया जाये" 
 


इस सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि–


🌻"प्रत्येक साधक के समक्ष सबसे बड़ी कठिनाई मन को नियंत्रण करने की होती है।मन लगे या न लगे साधक को अपनी साधना नियमित रूप से करते रहना चाहिए।मन नीचे की ओर ढकेलता है अनेक प्रलोभन देता है कभी विभूतिया देताहै तो कभी मान प्रतिष्ठा के भँवर में फसाता है।कभी साधक के अहंकार को उभारता है।यह सब मन की कलाये है उसकी शक्तिया है जो साधक को अधोमुख करने तथा अपने जाल में फसाने को तत्पर रहती है।साधना में सफलता प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम मन को शांत करना होता है।मन तो वह अश्व है जिस पर चढ़कर साधक को अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।इसके रुख को शाश्वत आनन्द की तरफ मोड़ना है।जिन साधको को मन के नियंत्रण में कठिनाई आ रही है उन्हें आँखे बन्द कर यह अभ्यास करना चाहिए कि वे अपने गुरुदेव के सम्मुख बैठे है और उनके साक्षात् दर्शन कर रहे है।यह अनुभव करे कि गुरुदेव की ओर से दिव्य प्रकाश की लहर आपके रोम रोम में समा रही है।आप अनुभव करेंगे कि नियमित रूप से इस अभ्यास के थोड़े समय बाद ही समस्त वृत्तिया अंतर्मुखी होने लगेंगी तथा मन में एकाग्रता आने लगेगी।जब तक पूर्ण ध्यान न लगे मन चंचलता न छोड़े यही अभ्यास करते रहना चाहिए।जिस समय हम चिंतन या साधना करते है तो उस समय हम अपने गुरुदेव से जुड़ जाते है और वे अपने गुरुदेव से जुड़े रहते है इस प्रकार यह चेन परमपिता परमात्मा तक पहुँचती है और उनकी सीधी कृपा हमारे ऊपर होती है जिसकी स्पष्ट झलक साधना में दृष्टिगोचर होती है।"🌻


🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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