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परम् पूज्य पापाजी ने -
परम् पूज्य पापाजी ने -
"सद्गुरु के महत्व एवम् उन पर श्रद्धा विश्वास "
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न मन्दिर में न मस्जिद में,न काबे कैलास में।
न तीरथ में न मूरत में,न एकांत निवास में।
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खोजी होय तुरत मिल जाऊँ,पल भर की तलाश में।
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खोजी होय तुरत मिल जाऊँ,पल भर की तलाश में।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,मै तो हूँ विश्वास में।।
कहने का तातपर्य यह है कि श्रद्धा विश्वास के गहरे होने से गुरु के प्रति निष्ठा मजबूत होगी।उनके श्री चरणों में प्रेम उत्पन्न होगा।प्रेम होने से आज्ञापालन का भाव स्वतः जाग्रत होगा।स्वयम के तर्क ,सन्कल्प विकल्प सब समाप्त होने लगेंगे ,इन सबके साथ ही गुरु में पूर्ण समर्पित भाव उत्पन्न होने लगेगा,जिससे साधक की उन्नति तीव्र गति से होगी "

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🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।
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🌻(क्रमशः)
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