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Friday, 9 December 2016

(भाग ३/३) - "श्री गुरु पद रज महिमा"

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज पर रचित "श्री गुरु पद रज महिमा" की अगली कड़ी प्रस्तुत है-
🌻"श्री सद्गुरु-पद-रज विमल-संजीवनि सुख मूल।
देखभाल यमदूत फिर निकट न आते भूल।।
🌻"गुरु पद-पद्म-पराग की महिमा अमित अनूप।
पान किये नर परहि नहि विषम अंध भवकूप।।
🌻अर्थ-श्री सदगुरुदेव की विमल चरण रज सन्जीवनी के समान सुख प्रदान करने वाली है।सद्गुरु की कृपा से जीवन के चरम सुख का अनुभव करने के बाद,संसार की नश्वरता का ज्ञान होने से यमदूत का भय भी नही रहता।यमदूत स्वयम ही दूर रहते है(क्योकि सद्गुरु का कृपापात्र जन्म मृत्यु के बन्धन से मुक्त होकर अपने गुरुदेव में लीन हो जाता है)।
🌻अर्थ-गुरुदेव के चरण कमलो की महिमा अपरम्पार है।उनकी महिमा से इस विषम अंधे कुए के समान भवसागर भी आसानी से पार हो जाता है।"
🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव कृपा करे।*🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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