🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌻***~ॐ~***🌻 🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻 परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि- 🌻"सदाचार और दुराचार का विचारो से घनिष्ठ सम्बन्ध है। विचारो की उत्पत्ति मन से होती है इसलिए सभ्य तथा सदाचारी बनने के लिए मन को श्रीभगवान के चरणों में लगाकर अच्छे कार्यो की ओर प्रेरित करना चाहिए। मन को पवित्र निर्मल रखने से दिव्य शक्तिया तथा गुणों का विकास होता है।अपवित्र मन मनुष्य को दुराचार और कुपथगामी बनाता है।मन को पवित्र बनाने के लिए सत्य पालन और अहिंसा मुख्य साधन है।नित्यप्रति नियमानुसार भाव और प्रेम के साथ श्री भगवान की उपासना करने से अन्तःकरण शुद्ध होता है। अन्तःकरण शुद्ध होने से मन पवित्र होता है। मन के पवित्र होने से सत्य भाषण और अहिंसा का साधन स्वतः होने लगता है।"🌻 🌻*"निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।*🌻 🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻
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